अरस्तू का विरेचन सिद्धान्त

अरस्तु का विरेचन सिद्धांत

प्लेटो का मानना था कि- काव्य कला एक आदर्श राज्य के लिए अनुपयोगी कार्य वस्तु है। इस प्रकार विरेचन सिद्धांत पर भी प्लेटो ने अपनी बातों को रखा। विरेचन सिद्धांत की व्याख्या अरस्तु ने इसलिए किया क्योंकि वह बताना चाहता था की विरेचन के माध्यम से काव्य अपना एक सुंदर रूप प्रस्तुत करता है तथा … Read more

अरस्तु का अनुकरण सिद्धांत

अरस्तु का अनुकरण सिद्धांत

पृथ्वी पर अरस्तु का समयकाल 374 ईसा पूर्व से 322 ईसा पूर्व था। अरस्तु यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक प्लेटो का शिष्य था। पश्चिम, ज्ञान, विज्ञान, कला, संस्कृति आदि के क्षेत्र में अरस्तु का बहुत बड़ा योगदान है। अरस्तु का एक परिचय यह भी है कि वह सिकंदर के गुरु भी थे। सिकंदर भारत को छोड़कर … Read more

काव्य प्रयोजन

काव्य प्रयोजन

मानव के प्रत्येक कार्य में किसी न किसी प्रकार से कोई न कोई उद्देश्य शामिल होता है। प्रयोजन का अर्थ उन उपलब्धियां से है जो हमको किसी कार्य करने से प्राप्त होता है। अतः मानव का प्रत्येक कार्य इन्हीं उद्देश्यों और परियोजनों से संचालित होता है तो ऐसे में हमारा काव्य कैसे अछूता रह सकता … Read more

काव्य गुण

काव्य गुण

हिंदी साहित्य में रस को काव्य की आत्मा माना गया है। जब काव्य में रस का विवेचन किया जाता है तो जो तत्व उस रस के गुण को बढ़ा देते हैं उनको काव्य गुण कहा जाता है। जिस काव्य में दोष न्यून मात्रा में हो या फिर बिल्कुल ही ना हो और काव्य में रस … Read more

‘उसने कहा था’ – पंडित चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’

'उसने कहा था'

‘उसने कहा था’ कहानी के लेखक पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म 1883 ईस्वी में जयपुर में हुआ था। पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी का बचपन से साहित्य में रुचि था। जिसका प्रकाशन 1915 ईस्वी में हुआ। इस कहानी के अलावा चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने ‘बुद्धू का कांटा’ और ‘सुखम जीवन’ आदि कहानियों की रचना की। … Read more

दिल्ली में एक मौत-कमलेश्वर

दिल्ली में एक मौत

आज कहानी समीक्षा में हम कमलेश्वर की कहानी ‘दिल्ली में एक मौत’ की समीक्षा करेंगे। कमलेश्वर जी ने अपने पूरे रचना काल में तकरीबन 300 के आसपास कहानियों की रचना की। कमलेश्वर की पहली कहानी कामरेड थी जो 1948 में प्रकाशित हुआ। कमलेश्वर का पहला कहानी संग्रह राजा निरबंसिया था जो 1957 में प्रकाशित हुआ। … Read more

काव्य दोष

काव्य दोष

काव्य दोष उसे कहते हैं जो काव्य में रस और उसकी सुंदरता को कम करते हैं। वह वस्तु जिसके द्वारा काव्य का भाव समझन में कोई रुकावट आए या रस का आस्वादन करने में कोई रुकावट आए तो उसे हम काव्य दोष कहते हैं। किसी वस्तु के द्वारा कविता के मूल भाव को समझने में … Read more

सिनेमा और जनमाध्यम

सिनेमा

जब भी हम सिनेमा या चलचित्र का नाम सुनते हैं तो हमारे सामने एक दृश्य उरभर कर आता है। किसी हाल या किसी चौपाल पर बैठकर या फिर घर-परिवार में एक दृश्य को देखना जो विभिन्न भाव भंगिमाओं,कहानी, संस्कृत, धर्म, जाति, क्षेत्र, रंग रूप आदि विविधताओं से भरा हुआ एक संपूर्ण दृश्य आपके सामने उभर … Read more

संप्रेषण की प्रक्रिया

संप्रेषण की प्रक्रिया

कम्युनिकेशन मूल रूप में सूचना या किसी जानकारी को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने की प्रक्रिया है इसी विधि को संप्रेषण की प्रक्रिया कहते हैं। इस प्रक्रिया में संदेश भेजने वाला अपने संदेश को किसी संचार माध्यम से श्रोता या ग्राहक पहुंचता है। जैसे ही श्रोता या ग्राहक को संदेश प्राप्त होता है … Read more

विज्ञापन लेखन

विज्ञापन लेखन

विज्ञापन- जो प्राप्त नहीं है उसको प्राप्त करने की चेतना उसके प्रति सदैव आकर्षित रहने की चेतना आज के पूंजीवादी दौर में विज्ञापन का एक माध्यम है। विज्ञापन वह आकर्षण है जिसके माध्यम से आधुनिक युग में नए नूतन खोज और मनुष्य की उपयोगिता के आराम पसंद जीवन को सुगम बनाने के लिए जो जो … Read more