उपन्यास यथार्थ कहानी को लेकर चलने वाली एक कथात्मक विधा है। इस विधा का जन्म 18 वीं शताब्दी के लगभग पश्चिमी देशों में हुआ। उपन्यास विद्या के जन्म में पूंजीवाद और औद्योगिक क्रांति का अहम योगदान है। जब पश्चिम में पूंजीवादी संस्कृति और औद्योगिक क्रांति का प्रसार होता है तो एक खास मध्यम वर्ग का…
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उपन्यास: स्वरूप और संरचना
उपन्यास क्या है? वर्तमान समय में उपन्यास आधुनिक कथात्मक विधा है उपन्यास का जन्म 18वीं शताब्दी में पश्चिम में हुआ था इस विधा के जन्म के पीछे तत्कालीन औद्योगिक क्रांति और पूंजीवाद था और इस विधा को तलने और फूलने में तप के मध्य वर्ग ने अहम भूमिका निभाई। उपन्यास का संबंध मूल रूप से…
अरस्तू का विरेचन सिद्धान्त
प्लेटो का मानना था कि- काव्य कला एक आदर्श राज्य के लिए अनुपयोगी कार्य वस्तु है। इस प्रकार विरेचन सिद्धांत पर भी प्लेटो ने अपनी बातों को रखा। विरेचन सिद्धांत की व्याख्या अरस्तु ने इसलिए किया क्योंकि वह बताना चाहता था की विरेचन के माध्यम से काव्य अपना एक सुंदर रूप प्रस्तुत करता है तथा…
अरस्तु का अनुकरण सिद्धांत
पृथ्वी पर अरस्तु का समयकाल 374 ईसा पूर्व से 322 ईसा पूर्व था। अरस्तु यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक प्लेटो का शिष्य था। पश्चिम, ज्ञान, विज्ञान, कला, संस्कृति आदि के क्षेत्र में अरस्तु का बहुत बड़ा योगदान है। अरस्तु का एक परिचय यह भी है कि वह सिकंदर के गुरु भी थे। सिकंदर भारत को छोड़कर…
काव्य प्रयोजन
मानव के प्रत्येक कार्य में किसी न किसी प्रकार से कोई न कोई उद्देश्य शामिल होता है। प्रयोजन का अर्थ उन उपलब्धियां से है जो हमको किसी कार्य करने से प्राप्त होता है। अतः मानव का प्रत्येक कार्य इन्हीं उद्देश्यों और परियोजनों से संचालित होता है तो ऐसे में हमारा काव्य कैसे अछूता रह सकता…
काव्य गुण
हिंदी साहित्य में रस को काव्य की आत्मा माना गया है। जब काव्य में रस का विवेचन किया जाता है तो जो तत्व उस रस के गुण को बढ़ा देते हैं उनको काव्य गुण कहा जाता है। जिस काव्य में दोष न्यून मात्रा में हो या फिर बिल्कुल ही ना हो और काव्य में रस…
‘उसने कहा था’ – पंडित चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’
‘उसने कहा था’ कहानी के लेखक पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म 1883 ईस्वी में जयपुर में हुआ था। पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी का बचपन से साहित्य में रुचि था। जिसका प्रकाशन 1915 ईस्वी में हुआ। इस कहानी के अलावा चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने ‘बुद्धू का कांटा’ और ‘सुखम जीवन’ आदि कहानियों की रचना की।…
दिल्ली में एक मौत-कमलेश्वर
आज कहानी समीक्षा में हम कमलेश्वर की कहानी ‘दिल्ली में एक मौत’ की समीक्षा करेंगे। कमलेश्वर जी ने अपने पूरे रचना काल में तकरीबन 300 के आसपास कहानियों की रचना की। कमलेश्वर की पहली कहानी कामरेड थी जो 1948 में प्रकाशित हुआ। कमलेश्वर का पहला कहानी संग्रह राजा निरबंसिया था जो 1957 में प्रकाशित हुआ।…
काव्य दोष
काव्य दोष उसे कहते हैं जो काव्य में रस और उसकी सुंदरता को कम करते हैं। वह वस्तु जिसके द्वारा काव्य का भाव समझन में कोई रुकावट आए या रस का आस्वादन करने में कोई रुकावट आए तो उसे हम काव्य दोष कहते हैं। किसी वस्तु के द्वारा कविता के मूल भाव को समझने में…
सिनेमा और जनमाध्यम
जब भी हम सिनेमा या चलचित्र का नाम सुनते हैं तो हमारे सामने एक दृश्य उरभर कर आता है। किसी हाल या किसी चौपाल पर बैठकर या फिर घर-परिवार में एक दृश्य को देखना जो विभिन्न भाव भंगिमाओं,कहानी, संस्कृत, धर्म, जाति, क्षेत्र, रंग रूप आदि विविधताओं से भरा हुआ एक संपूर्ण दृश्य आपके सामने उभर…