काव्य गुण

काव्य गुण

हिंदी साहित्य में रस को काव्य की आत्मा माना गया है। जब काव्य में रस का विवेचन किया जाता है तो जो तत्व उस रस के गुण को बढ़ा देते हैं उनको काव्य गुण कहा जाता है। जिस काव्य में दोष न्यून मात्रा में हो या फिर बिल्कुल ही ना हो और काव्य में रस … Read more

‘उसने कहा था’ – पंडित चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’

'उसने कहा था'

‘उसने कहा था’ कहानी के लेखक पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म 1883 ईस्वी में जयपुर में हुआ था। पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी का बचपन से साहित्य में रुचि था। जिसका प्रकाशन 1915 ईस्वी में हुआ। इस कहानी के अलावा चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने ‘बुद्धू का कांटा’ और ‘सुखम जीवन’ आदि कहानियों की रचना की। … Read more

काव्य दोष

काव्य दोष

काव्य दोष उसे कहते हैं जो काव्य में रस और उसकी सुंदरता को कम करते हैं। वह वस्तु जिसके द्वारा काव्य का भाव समझन में कोई रुकावट आए या रस का आस्वादन करने में कोई रुकावट आए तो उसे हम काव्य दोष कहते हैं। किसी वस्तु के द्वारा कविता के मूल भाव को समझने में … Read more