संप्रेषण का महत्व

अगर हम संप्रेषण के महत्व की बात करें तो मानव की उत्पत्ति से ही संप्रेषण का महत्व जग जाहिर है। क्योंकि जब भाषा नहीं था तब भी मानव संकेत संप्रेषण के माध्यम से अपने कार्यों को पूर्ण करता था। आज जब भाषा पूर्ण रूप से विकसित हो चुकी है तो आज हम भाषा के रूप में संप्रेषण करते हैं। आज सोशल मीडिया मास कम्युनिकेशन तमाम जगहों पर संप्रेषण का महत्व हमें देखने को मिलता है। चाहे वह शिक्षण संस्थान हो चाहे सरकारी संस्थान चाहे गैर सरकारी संस्थान हो सभी को एक व्यवस्थित गति में चलने के लिए संप्रेषण की अति आवश्यकता है। यहां हम कई बिंदुओं पर संप्रेषण के उपयोगिता और महत्व पर बात करेंगे।

मानव के लिए संप्रेषण का महत्व

एक व्यक्ति के अंदर या कहें तो मन में तमाम तरह के भाव उठते रहते हैं। वह भाव सकारात्मक या नकारात्मक हो सकते हैं। व्यक्ति उन भाव से कभी-कभी परेशान भी हो जाता है। लेकिन जैसे ही अपने भाव और विचारों को किसी अन्य व्यक्ति से कहता है। तो वह खुद को उन भाव से मुक्त पता है। उसको लगता है कि चलो मैंने किसी अपने मित्र या साथी को यह बात बोल कर उसे उसकी राय ली।

अगर हम सैद्धांतिक रूप से देखें तो यहां पर पूर्ण संप्रेषण की प्रक्रिया हुई है। साथ ही व्यक्ति के मन का बोझ भी हल्का हुआ है। संप्रेषण दो व्यक्तियों के लिए इसलिए आवश्यक नहीं है कि वह दोनों आपस में बातचीत करते हैं बल्कि संप्रेषण इसलिए भी आवश्यक है कि व्यक्ति अपने भाव विचारों को दूसरों के सामने व्यक्त करके अपने मन के अंदर का दुख या खुशी भी जाहिर करता है।

समाज निर्माण में संप्रेषण की महत्व

समाज की सबसे छोटी इकाई मानव है। अर्थात मानव से मिलकर ही समाज बनता है। कोई समाज तभी अच्छा कहलाएगा जब उसमें रहने वाले सभी व्यक्तियों के अंदर एक दूसरे से किसी प्रकार का ईर्ष्या या द्वेष नहीं है। और यह तभी संभव होगा जब उस समाज के सभी लोग एक दूसरे से बातचीत करें। एक दूसरे को अपने भाव विचारों से अवगत करायें। एक दूसरे के दुख और सुख को सुने।

तो अवश्य ही उसे समाज में किसी भी तरह का राग-द्वेष नहीं होगा। एक स्वस्थ समाज के निर्माण में संप्रेषण बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमारे शास्त्रों में लिखा है वसुधैव कुटुंबकम अर्थात संपूर्ण विश्व ही एक परिवार है। और यह परिवार तभी अच्छा चल सकता है। जब परिवार के सभी सदस्य आपस में बातचीत करें। एक दूसरे के साथ अपने भाव विचारों सुख-दुख को साझा करें और यह प्रक्रिया संप्रेषण के माध्यम से ही संभव होगा।

संप्रेषण की व्यावसायिक महत्व

इस बात से आप पूरी तरह सहमत होंगे कि व्यवसाय को चलाने के लिए आपका संप्रेषण प्रक्रिया बहुत ही सधा हुआ सहज और सरल होना चाहिए। ताकि आपकी बात को सामने वाला पक्ष समझ सके।

प्रबंधकीय कार्य में संप्रेषण का महत्व

इस प्रक्रिया का सबसे अधिक प्रयोग मल्टीनेशनल कंपनियों में होता है। जब कंपनी का निर्देशक अपने से नीचे सहकर्मियों से आपस में बात विचार कर कर कंपनी की ग्रोथ के लिए कार्य करता है। यह ग्रोथ तभी संभव है जब कंपनी के निर्देशक का संप्रेषण अपने से नीचे सहकर्मियों के साथ बहुत सरल और सहज हो जिससे वह अपनी बात को सभी स कर्मियों को समझा सके।

भ्रम निवारण में संप्रेषण की महत्व

गांव में एक कहावत है कि “कव्वा कान लेकर भाग गया” इसका मतलब यह है कि कि अगर कोई बोले कि तुम्हारा कान लेकर कव्वा भाग गया। तो आपको उसके पीछे भागना नहीं है। सबसे पहले अपने कान को देखना है कि वह कान मेरे पास है कि नहीं। उसी तरह कोई आकर आपसे यह बोले कि वह व्यक्ति तुमको ऐसे ऐसे बोल रहा है।

तो आप तुरंत गुस्से में आकर उसे लड़ने मत चले जाइए। पहले आप उसे मिलिए और पूछिए क्या तुमने सच में मेरे बारे में ऐसा कुछ कहा है? फिर आप अपनी प्रतिक्रिया दीजिए कहने का मकसद यह है कि कभी कभी जो हमारे मन में किसी तीसरे व्यक्ति के द्वारा कही हुई किसी बात को लेकर उस व्यक्ति के प्रति दूरआग्रह का भाव रखते हैं। इसको भी दूर करने में संप्रेषण बहुत ही सजक भूमिका निभाता है।

संप्रेषण का महत्व हम शीघ्र निर्णय लेने में भी कर सकते हैं। इसका सर्वप्रिय उदाहरण हम कार्यालय में देख सकते हैं जब प्रबंधक को हर क्षण कोई न कोई कदम कंपनी के प्रगति के लिए उठाने पड़ते हैं। ऐसे में प्रबंधक को अपने कर्मचारियों से किसी कार्य को जल्दी तथा प्रभावित तरीके से करने के लिए उसका संप्रेषण भी बहुत प्रभावी और कर्मचारियों के मस्तिष्क पर छाप छोड़ने वाला हो इसलिए यहां पर हम संप्रेषण का महत्व देख सकते हैं।

संप्रेषण का महत्व केवल कार्यालय तक ही सीमित नहीं है बल्कि उसके कार्यों के लिए बाह्य पक्षों से संपर्क करने के लिए भी संप्रेषण का महत्व बहुत अधिक है। अगर किसी व्यापारी ने अपना व्यापार खोला है चाहे वह किसी भी प्रकार का व्यापार हो तो वह व्यापारी हमेशा चाहेगा कि मेरे व्यापार की बढ़ोतरी हो और वह जो उत्पाद बेच रहा है वह सब तक पहुंचे लेकिन यह कार्य तभी संभव है जब वह अपने उसे उत्पादन का विज्ञापन करेगा विज्ञापन व कई प्रकार से कर सकता है।

जैसे अखबार में इश्तहार देकर कि फला उत्पाद की दुकान फला जगह पर फला व्यापारी के द्वारा किया जा रहा है। या फिर टेलीविजन चैनल के माध्यम से क्योंकि कहा जाता है की प्रचार है तो व्यापार है। इसलिए विज्ञापन में संप्रेषण का बहुत महत्व क्योंकि आपका संप्रेषण जितना प्रभावित होगा आपका विज्ञापन भी उतना मजबूत होगा अतः विज्ञापन के क्षेत्र में भी संप्रेषण का बहुत महत्व है।

साथ ही दूसरी संस्थाओं से भी मधुर संबंध स्थापित करने के लिए संप्रेषण अति आवश्यक है। क्योंकि जब एक उद्योग का मालिक दूसरे उद्योग के मालिक से तभी अच्छे से व्यापार कर सकेगा जब दोनों के बीच में एक स्वस्थ बातचीत हो। और यह स्वस्थ बातचीत तभी संभव है जब दोनों का संप्रेषण कुशल और प्रभावी हो इससे उनकी कंपनी को भी लाभ मिलेगा। क्योंकि जब दो कंपनी मिलकर किसी कार्य को करेंगे तो अवश्य ही उनको उसे क्षेत्र में सफलता मिलेगी।

निष्कर्षतः हम कह सकते हैं कि आज के दौर में स्वस्थ संप्रेषण अति आवश्यक है क्योंकि इससे समाज को बहुत लाभ है साथ ही व्यक्तिगत लाभ भी है क्योंकि संप्रेषण एक माध्यम है किसी भी कार्य को सुचारू रूप से चलने के लिए चाहे वह व्यक्तिगत हो सामाजिक हो चाहे राष्ट्र का हो हर क्षेत्र में संप्रेषण बहुत आवश्यक है।

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