विज्ञापन- जो प्राप्त नहीं है उसको प्राप्त करने की चेतना उसके प्रति सदैव आकर्षित रहने की चेतना आज के पूंजीवादी दौर में विज्ञापन का एक माध्यम है। विज्ञापन वह आकर्षण है जिसके माध्यम से आधुनिक युग में नए नूतन खोज और मनुष्य की उपयोगिता के आराम पसंद जीवन को सुगम बनाने के लिए जो जो वस्तुएं आवश्यक है।
उसको विज्ञापन के माध्यम से प्रदर्शित कर एक विक्रेता क्रेता से खरीदने की उम्मीद रख कर विभिन्न माध्यमों से प्रसारित करता है यह माध्यम टेलीविजन अखबार रेडियो विभिन्न मोबाइल ऐप पर दिखाए जाने वाला विज्ञापन आदि आते हैं। इस लेख के माध्यम से हम विज्ञापन लेखन की महत्ता और उसके अर्थ को समझने का प्रयास करेंगे। आज के समय में विज्ञापन विश्व जगत में बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है इसके माध्यम से लोगों के विचार व्यवहार और संस्कार बदलने में आसानी होता है।
विज्ञापन लेखन और उसका अर्थ
विज्ञापन शब्द की उत्पत्ति ‘वि’ उपसर्ग तथा ‘ज्ञापन’ शब्द के मिलन से विज्ञापन शब्द बना है। ‘वि’ का मतलब है कोई विशेष तथा ‘ज्ञापन’ का मतलब है सूचना देना इस आधार पर हम कह सकते हैं कि विज्ञापन का मतलब है कि कोई विशेष जानकारी या सूचना देना विज्ञापन कहलाता है। अगर हम अंग्रेजी की बात करें तो इसी विज्ञापन को अंग्रेजी में ‘एडवरटाइजिंग’ कहा जाता है। यह लैटिन के Adverter, एडवर्टर शब्द का रूपांतरण है। जिसका अर्थ किसी विशेष की ओर मोड़ना।
विज्ञापन क्यों ज़रूरी है?
विज्ञापन के माध्यम से बाजार में आई कोई नई वस्तु की बिक्री बढ़ाने में किया जाता है उसने उत्पादित वस्तु की खूबियां और वह व्यक्ति के लिए क्यों जरूरी है यह बताकर लोगों को आकर्षित किया जाता है। उसके बिक्री में बढ़ोतरी होती है इससे संबंधित फर्म की उत्पादकता भी बढ़ती है और वह कंपनी आर्थिक रूप से मजबूत भी होती है।
विज्ञापन के माध्यम से बाजार में उपस्थित बिचौलियों खत्म करने में भी सहायता मिलता है इससे उत्पादक और उपभोक्ता के बीच सीधा संबंध स्थापित होता है। आजकल की उत्पादक कंपनियां अपने सारे प्रोडक्ट्स वैबसाइट के माध्यम से उपभोक्ता को सीधा बेचना है।
विज्ञापन के माध्यम से आम जनता शिक्षित करने का भी अभियान चलाया जाता है। किसी विशेष विज्ञापन के माध्यम से लोगों को नई-नई जानकारियां उसकी उपयोगिता समस्या समाधान आदि विषयों पर लोगों को जागरूक किया जाता है जैसे- पोलियो अभियान, शौचालय संबंधी अभियान, आयोडीन युक्त नमक खाना आदि विषयों की जानकारी लोगों को विज्ञापन के माध्यम से देना।
विज्ञापन के माध्यम से किसी कंपनी की उत्पादन को या प्रोडक्ट को समाज में क्रेडिबल बनाने के लिए भी किया जाता है। जिससे उसे कंपनी का उत्पादन धीरे-धीरे एक ब्रांड के रूप में उभरता है। जिससे लोगों में उसकी लोकप्रियता बढ़ती है और लोग उसको अधिक से अधिक खरीदने हैं।
मुद्रण और प्रिंट के लिए विज्ञापन लेखन की प्रक्रिया या उसके प्रमुख अंग
विज्ञापन का शीर्षक
विज्ञापन की भाषा
विज्ञापन का उपशीर्षक
विज्ञापन का मूल कथ्य
विज्ञापन में चित्र
विज्ञापन की सज्जा
विज्ञापन की अपील
किसी भी विज्ञापन में शीर्षक सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसलिए सभी विज्ञापन प्रस्तुतकर्ता का उद्देश्य यही होता है कि विज्ञापन का शीर्षक बहुत ही रोचक पाठकों और दर्शकों के मन मस्तिष्क पर सालों साल तक विज्ञापन का छाप उनके मन-मस्तिस्क पर छोड़ने वाला हो। शीर्षक का मुख्य उद्देश्य जिस भी विषय वस्तु का विज्ञापन किया जा रहा है उसका परिचय पाठकों के सामने देना। विज्ञापन का शीर्षक देते समय हमें ध्यान रखना चाहिए की विज्ञापन का मुख्य शीर्षक बड़े-बड़े अक्षरों में संक्षिप्त और सरल भाषा में होना चाहिए जिस पाठकों और दर्शकों को समझने में किसी भी प्रकार का समस्या का सामना न करना पड़े।
विज्ञापन में उपशीर्षक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। प्राय विज्ञापन का शीर्षक छोटा होता है तो उक्त विज्ञापन की संपूर्ण जानकारी नहीं मिल पाती इसलिए विज्ञापन में एक उपशीर्षक रखा जाता है जो संबंधित विज्ञप्ति वस्तुओं की संपूर्ण जानकारी देता है कि फला विज्ञापन किस विषय पर है जैसे- मैं स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम करता हूं।
क्या आप स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम करते हैं? इस शीर्षक से व्यक्ति समझ जाएगा की भला विज्ञापन योग की महत्ता को बता रहा है।
विज्ञापन की भाषा
विज्ञापन का अधिकतर प्रयोग व्यवसाय के लिए किया जाता है। विज्ञापन बनाते समय या लिखते समय हमें भाषा का विशेष ध्यान रखना होता है। अधिकतर व्यावसायिक भाषा का प्रयोग किया जाता है। जिससे पाठक और दर्शक को उत्पादित वस्तु के महत्व को जान पता है। विज्ञापन में भाषा का प्रयोग हमें इतनी सरलता और रोचकता के साथ करनी चाहिए कि उपभोक्ता खुद-ब-खुद उसे वास्तु को खरीदने के लिए तथा उसके बारे में जानने के लिए अत्यधिक आकर्षित या उत्सुक हो जाए। विज्ञापन में भाषा का निर्धारण इस आधार पर किया जाता है कि विज्ञापन किसके लिए किया जा रहा है।
उसके स्वरूप को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए जैसे छोटे बच्चों के लिए विज्ञापन है तो उसके लिए छोटे बच्चों वाली भाषा का उपयोग किया जाना चाहिए किसी शैक्षिक या उच्च स्तर की शिक्षा का विज्ञापन हो तो उसके लिए अलग भाषा का प्रयोग होना चाहिए कहने का तात्पर्य बस यही है कि भाषा का चुनाव विज्ञापन की स्वरूप को देखकर किया जाना चाहिए की विज्ञापन किस विषय वस्तु के लिए बनाया जा रहा है।
विज्ञापन के मूल कथ्य में विज्ञापन संबंधित संपूर्ण जानकारियां दी होती हैं। मूल तत्व में उस बात को प्रमाणित किया जाता है। जिससे संबंधित विज्ञापन होता है और इस प्रमाणिकता का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता के बीच उत्पाद की सकारात्मक छवि बनाना होता है
विज्ञापन मे चित्र की भूमिका अत्यंत हम होती है क्योंकि एक चित्र के माध्यम से हम बहुत सारी बातों को स्पष्ट कर सकते हैं तथा किस विषय में विज्ञापन है इसको भी समझने में आसानी मिलती है।
विज्ञापन की सज्जा में हम रंग कंपनी का लोगो उस कंपनी का ट्रेडमार्क आदि का उपयोग कर विज्ञापन की प्रमाणिकता और उसके गुणवत्ता को समझाने का प्रयास करते हैं।
विज्ञापन में अपील अधिकतर विज्ञापन में दो तरह की अपील होते हैं एक तार्किक अपील और एक भावनात्मक अपील
निष्कर्ष
उपर्युक्त व्याख्या के आधार पर हम कह सकते हैं कि आज की पूंजीवादी और भूमंडलीकरण के दौर में विज्ञापन लेखन अत्यंत आवश्यक विषय है जिस पर विद्यार्थियों को बहुत ही गहनता के साथ लिखना और पढ़ना चाहिए।
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A very Knowledgeful content…. thank you 😊
Nice