रचनात्मक लेखन में निबंध का महत्व

रचनात्मक लेखन में निबंध को साहित्य का सबसे उत्कृष्ट विद्या माना जाता है। क्योंकि निबंध शब्द का प्रयोग किसी विषय की गंभीरता तार्किकता और बौद्धिकता की विवेचन करने वाले लोगों के लिए भी किया जाता है। निबंध के आरंभकर्ता मानटेन को माना जाता है। मानटेन फ्रांस के रहने वाले थे। माउंटेन ने विभिन्न विषयों पर अपने विचारों को प्रकट करने के लिए निबंध लेखन का प्रयोग किया।

रचनात्मक लेखन क्या है?

रचनात्मक लेखन से अभिप्राय यह है कि किसी भी व्यक्ति द्वारा स्वयं किसी विचार या दर्शन के आधार पर मौलिक रूप से किया गया लेखन वर्णन या नई रचना का निर्माण ही रचनात्मक लेखन है। उपर्युक्त परिभाषा में यह कहा गया है कि रचनात्मक लेखन से तात्पर्य मौलिक लेखन से है। वह मौलिक लेखन किसी भी क्षेत्र में हो सकता है। चाहे वह गद्य साहित्य के उपन्यास नाटक निबंध कहानी आदि विधाओं में हो सकता है। या फिर पद्य लेखन के खंड काव्य महाकाव्य, कविता या प्रगीत में हो सकती है।

इस लेख में रचनात्मक लेखन का हिंदी गद्य साहित्य के निबंध क्षेत्र में क्या महत्व है? उसका अध्ययन करेंगे। इसको पढ़ने से पहले हम सर्वप्रथम या जानेंगे कि निबंध है क्या?

निबंध का भाव अंग्रेजी के कंपोज़ीशन और एसे के अर्थ में ग्रहण किया जाता है। इस संदर्भ में साहित्य के विद्वान आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का मानना है संस्कृत में भी निबंध का साहित्य है।पुराने संस्कृत साहित्य में निबंधों के लिए तर्कपूर्ण धर्मशास्त्र सिद्धांतों का वर्णन और व्यवस्था की गई है। उस काल के निबंधों में किसी व्यक्ति की विशेषता ना होकर पूरे समाज की विशेषता का वर्णन किया जाता था। लेकिन आज के युग के निबंधों में हम इसके विपरीत देखते हैं क्योंकि आज के निबंधों में निबंधकार व्यक्ति के व्यक्तित्व को महत्व दे रहा है। और उसको निबंध का एक मुख्य गुण भी मानता है।

प्रारंभ आधुनिक काल के भारतेंदु युग से माना जाता है। प्रारंभिक निबंध लेखन में भारतेंदु तथा उनके मंडल के कवियों का विशेष योगदान रहा है। अब तो निबंध ही नहीं अन्य कई सारी विधाओं का लेखन का प्रारंभ भारतेंदु युग से हुआ है। इसमें अग्रणी भूमिका भारतेंदु तथा उनके मंडल के कवियों का था।

रचनात्मक लेखन में निबंध का महत्व

मनुष्य का जब से  पृथ्वी पर जन्म हुआ है। तब से लेकर आज तक उसकी एक संस्कृति, एक परंपरा, एक सभ्यता और एक सुदृढ़ इतिहास रहा है। निबंध मनुष्य के इस परंपरा सभ्यता इतिहास आदि तमाम विषयों को लेकर लिखा जाने वाला एक रचनात्मक लेखन है। जिसमें लेखक अपनी रचनात्मकता का प्रयोग करके मनुष्य के उदय से लेकर आज तक की सभी घटनाओं का जब विभिन्न शैलियों में वर्णन करता है। उसमें एक मौलिकता एक नए विचार, एक नए सृजन शक्ति, एक नए दर्शन पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करता है। 

निबंध अपने रचनात्मक और मौलिक लेखन के माध्यम से मनुष्य के उदय से लेकर आज तक कैसी सभ्यता, संस्कृति और इतिहास थी। उस पर अपना मौलिक दृष्टि प्रस्तुत करता है। साथी भूतकाल तथा वर्तमान काल में एक तुलनात्मक अध्ययन भी प्रस्तुत करता है। कि हमें आधुनिक मनुष्य बौद्धिकता के आधार पर बनना है। वह पुरानी परंपराओं और रूढ़ियों को भी अपने तार्किक बिंदुओं पर विश्लेषण करके  एक नई रूपरेखा भी प्रस्तुत करता है की जो परंपराएं और रूढ़ियां इंसान के हित में नहीं है उनका त्याग कर हमें उन सभी नई विधाओं  बौद्धिक सृजन को अपनाना चाहिए जिससे मानव का हित जुड़ा हो। 

अगर हम इसको सरल शब्दों में कहें तो निबंध की प्रधान विशेषता व्यक्तित्व का प्रकाशन है। निबंध की सबसे अच्छी परिभाषा है। निबंध लेखन  व्यक्तित्व को प्रकाशित करने वाली ललित गद्य रचना है। लेकिन निबंध अपनी रचनात्मकता में इतना स्वतंत्र है कि इसका एक स्पष्ट परिभाषा देना अत्यंत कठिन कार्य है। लेकिन हमारी समझ के लिए यह परिभाषा उपयुक्त है।

संपूर्ण विश्व में निबंध को रचनात्मक विद्या के रूप में मान्यता आधुनिक काल में प्राप्त हुआ। तथा इसको संपूर्ण विश्व निबंध को सभी भाषाओं में रचनात्मक लेखन के रूप में ग्रहण किया गया। क्योंकि पाठक इसमें एक नवीन विषय को चुनकर अपनी लेखन को आगे बढ़ता है।निबंध ने अपनी रचनात्मकता से प्राचीन काल से चली आ रही सभी सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक रूढ़ियों से समाज को मुक्ति दिलाई।

 इस मुक्ति से निबंध का गहरा संबंध है। हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार नए युग में जिन नवीन ढंग के निबंधों का प्रचलन हुआ है वे व्यक्ति की स्वाधीन चिंता की उपज हैं। इस प्रकार निबंध में निबंधकार की स्वच्छंदता का विशेष महत्त्व है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने निबंध के संदर्भ में लिखा है-

निबंध लेखक अपने मन के अनुसार और अपनी स्वच्छंद विषय को चुनता है। उसे विषय को आधार बनाकर संपूर्ण निबंध की रचना करता है। तथा उसमें सूत्र बांधने का प्रयास करता है। जिससे पाठक निबंध के अंत तक जुड़ा रह तथा वह निबंध काल प्रसंगिक हो जिससे पाठक को ये कभी ना लगे कि इसमें वर्तमान युग से कोई संबंध नहीं है। इसलिए पाठक विषय चुनते वक्त बहुत सजगता रखता है। कालानुसार विषय रखता है। जिस सूत्र को लेखक ने एक बार पकड़ लिया वह उसी सूत्र पर पूरे निबंध की रचना करेगा।

इस प्रकार निबंध के दो विशेष गुण हैं- पहला  है व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति, और दूसरा सहभागिता का आत्मीय या अनौपचारिक स्तर। निबंध की शुरुआत कैसे करनी है और उसका अंत कैसे करना है इसका फैसला स्वयं निबंधकार ही लेता है की किन भावों को जोड़कर उसको अपना निबंध लिखना है। 

उपर्युक्त व्याख्या के आधार पर आप समझ सकते हैं कि किसी विषय को लेकर किसी लेखक का  कुछ और विचार हो सकता है किसी और लेखक का कुछ और विचार हो सकता है। अगर समझने की दृष्टि से हम एक उदाहरण ले तो आज के समय में भूमंडलीकरण एक बहुत ही ज्वलंत विषय है

यदि कोई निबंधकार भूमंडलीकरण पर निबंध लिख रहा है तो अलग-अलग निबंधकारों की भूमंडलीकरण पर अलग-अलग रचनात्मक लेखन हो सकता है। लेखक अपने विवेक से भूमंडलीकरण के विभिन्न परिपेक्षों पर अपने अनुसार विषय चुनकर रचनात्मक निबंध लेखन कर सकता है। 

निष्कर्षतः हम कह सकते हैं कि आज के युग में निबंध लेखन में रचनात्मक अति आवश्यक है। क्योंकि निबंध सबसे उत्कृष्ट और बहुत ही सक्षम विधा है जो अपनी बातों को अभिधा, लक्षणा और व्यंजना के माध्यम से पाठक के सामने रखती है। लेखक निबंध के सभी प्रकारों में जितना अधिक निपुण होगा उतना ही उसका प्रभावी रचनात्मक निबंध लेखन होगा।

 

आगे पढें…रचनात्मक लेखन के मौखिक रूप…https://gamakauaa.com/%e0%a4%b0%e0%a4%9a%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%ae%e0%a4%95-%e0%a4%b2%e0%a5%87%e0%a4%96%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a5%8c%e0%a4%96%e0%a4%bf%e0%a4%95/

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