‘उसने कहा था’ – पंडित चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’
‘उसने कहा था’ कहानी के लेखक पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म 1883 ईस्वी में जयपुर में हुआ था। पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी का बचपन से साहित्य में रुचि था। जिसका प्रकाशन 1915 ईस्वी में हुआ। इस कहानी के अलावा चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने ‘बुद्धू का कांटा’ और ‘सुखम जीवन’ आदि कहानियों की रचना की। … Read more
दिल्ली में एक मौत-कमलेश्वर
आज कहानी समीक्षा में हम कमलेश्वर की कहानी ‘दिल्ली में एक मौत’ की समीक्षा करेंगे। कमलेश्वर जी ने अपने पूरे रचना काल में तकरीबन 300 के आसपास कहानियों की रचना की। कमलेश्वर की पहली कहानी कामरेड थी जो 1948 में प्रकाशित हुआ। कमलेश्वर का पहला कहानी संग्रह राजा निरबंसिया था जो 1957 में प्रकाशित हुआ। … Read more
सिनेमा और जनमाध्यम
जब भी हम सिनेमा या चलचित्र का नाम सुनते हैं तो हमारे सामने एक दृश्य उरभर कर आता है। किसी हाल या किसी चौपाल पर बैठकर या फिर घर-परिवार में एक दृश्य को देखना जो विभिन्न भाव भंगिमाओं,कहानी, संस्कृत, धर्म, जाति, क्षेत्र, रंग रूप आदि विविधताओं से भरा हुआ एक संपूर्ण दृश्य आपके सामने उभर … Read more
संप्रेषण की प्रक्रिया
कम्युनिकेशन मूल रूप में सूचना या किसी जानकारी को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने की प्रक्रिया है इसी विधि को संप्रेषण की प्रक्रिया कहते हैं। इस प्रक्रिया में संदेश भेजने वाला अपने संदेश को किसी संचार माध्यम से श्रोता या ग्राहक पहुंचता है। जैसे ही श्रोता या ग्राहक को संदेश प्राप्त होता है … Read more
विज्ञापन लेखन
विज्ञापन- जो प्राप्त नहीं है उसको प्राप्त करने की चेतना उसके प्रति सदैव आकर्षित रहने की चेतना आज के पूंजीवादी दौर में विज्ञापन का एक माध्यम है। विज्ञापन वह आकर्षण है जिसके माध्यम से आधुनिक युग में नए नूतन खोज और मनुष्य की उपयोगिता के आराम पसंद जीवन को सुगम बनाने के लिए जो जो … Read more
टिप्पण (नोटिंग) क्या है?
टिप्पण का नाम अक्सर हम सरकारी कार्यालयों के कामकाज में सुनते रहते हैं। जिसको इंग्लिश में नोट बोलते हैं। आज हम इसी विषय को जानेंगे और पढ़ेंगे की टिप्पण होता क्या है? भारत के सभी कार्यों में कामकाज करने की एक व्यवस्थित और सुनियोजित पद्धति होती है। अक्सर हम देखते हैं कि एक कार्यालय दूसरे … Read more
कोसी का घटवार- शेखर जोशी
कोसी का घटवार कहानी का समीक्षा कोसी का घटवार कहानी के माध्यम से पहाड़ी ग्रामीण परिवेश को हम बहुत अच्छे से जान सकते हैं। इस कहानी को पढ़कर हम समझ सकते हैं कि गांव में लोग कैसे होते हैं? गांव का परिवेश कैसा होता है? गांव में लोगों के बीच प्रेम का स्थान क्या होता … Read more
कानों में कंगना- राधिका रमण प्रसाद सिंह
इस कहानी को शुक्ल जी ने अत्यंत भावुकता पूर्ण कहानी कहा है। राधिका रमण प्रसाद सिंह की पहली कहानी संग्रह कुशमांजलि में ‘कानों में कंगना’ प्रकाशित हुआ। 1913 में ‘हिंदू’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई। ‘कानों में कंगना’ कहानी में लेखक ने तत्कालीन सामंती परिवेश में पत्नी और वेश्यावृत्ति के बीच प्रेम की टकराहट को दिखाया … Read more